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मैं फिर खुद से मिला, आके यहाँ दुबारा फिर जीने का दिल करा !
कोई मज़बूरी कोई लाचारी न थी, फिर नीले आसामान में खेलता बचपन दिखा !
मेरे शहर की तरह यहाँ गलियां न थी,
भीड़ से दूर सकूँ दिल को सच्च में सच्चा मिला !
दिन सर्द बेशक पर माहौल गर्म था,
जहाँ तक नज़र गई सकूं ही सकूँ मिला !
माना की कम हैं चकाचौंध मेरे शहर से यहाँ,
पर एक भी बहाना शहर को याद करने का न मिला !
बिताये दिन कम लगे,
हर पल जीने को कम सा लगा !
मैं फिर खुद से मिला, आके यहाँ दुबारा फिर जीने का दिल करा !
कोई मज़बूरी कोई लाचारी न थी, फिर नीले आसामान में खेलता बचपन दिखा !
Comments
रूमानी दुनिया का नीला आसमान
रूमानी दुनिया का नीला आसमान आपके sun glasses में उतर आया
उन बच्चों के सर्द बदरंग ख्वाबों को दिल्ली का राहगीर कुतर आया
Wall paintings में दर्ज़ उनकी यादों की कतरनें बिखेर कर
AVGG volunteer पहाड़ों को धुंध में छोड़ चुपचाप नीचे उतर आया!!
wah Ranjan`ji wah !
wah Ranjan`ji wah !
good one Ranjan ji
good one Ranjan ji