मैं फिर खुद से मिला, आके यहाँ दुबारा फिर जीने का दिल करा !
कोई मज़बूरी कोई लाचारी न थी, फिर नीले आसामान में खेलता बचपन दिखा !
मेरे शहर की तरह यहाँ गलियां न थी,
भीड़ से दूर सकूँ दिल को सच्च में सच्चा मिला !
दिन सर्द बेशक पर माहौल गर्म था,
जहाँ तक नज़र गई सकूं ही सकूँ मिला !
माना की कम हैं चकाचौंध मेरे शहर से यहाँ,
पर एक भी बहाना शहर को याद करने का न मिला !
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