कोई सफ़र यूं भी करू की छोड़ बड़ा कुछ छोटा करू।
दूर निकल पहाड़ो में भीड़ से दूर गाँवों में किसी की खुशी बनू।
न दूं पैसा न कोई सामान पर दिल से दिल को कुछ ऐसा दूं,
बदल न सके बेशक़ ज़िन्दगी पर उसे आगे बढ़ने का हौसला दूं.. पर उसे आगे बढ़ने का हौसला दूं।
मैं कब तक मैं बन जियूं,
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